माँ चंद्रघंटा | Maa Chandraghanta

 

माता पार्वती के विवाहित स्वरूप को माँ चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है । भगवान शिव से विवाह के पश्चात माता ने अर्धचंद्र को अपने मस्तक पर धारण करना प्रारंभ करा और अर्धचंद्र घंटे के समान दिखता हैं इसी कारण उनके इस स्वरूप का नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस स्वरूप में माँ चंद्रघंटा अपने सभी अस्त्र – शस्त्र के साथ बाघिन पर सवार होकर भक्तों दर्शन देती है।

इस स्वरूप में माता को दस हाथों से दर्शाया गया है, अपने चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल रखती हैं और पांचवां बायां हाथ ध्यान मुद्रा में रखती हैं।वह अपने दाहिने हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष, जप माला रखती हैं और पांचवे हाथ वर मुद्रा में है, माँ का यह स्वरूप शांतिपूर्ण और कल्याणकारी है ।

 

 

माँ चंद्रघंटा जी की आरती |

Maa Chandraghanta Aarti

 

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥

चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

मन की मालक मन भाती हो।
चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥

सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥

हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥

मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥

शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगत दाता॥

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥

नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी॥

॥ इति माँ चंद्रघंटा जी की आरती ॥

****************

नवरात्रि पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन  माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है ।

****************

 शासी ग्रह

शुक्र ग्रह  माँ चंदरघण्टा द्वारा शासित है ।

****************

पसंदीदा फूल

चमेली (Jasmine) का फूल माता को अति प्रिय है ।

****************

मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

****************

प्राथना

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

****************

स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

****************

ध्यान

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

****************

स्तोत्र

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

****************

कवच

रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥
बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।
स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥
कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।
न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥

****************

माँ चंद्रघंटा | Maa Chandraghanta

1 thought on “माँ चंद्रघंटा | Maa Chandraghanta”

  1. Pingback: दुर्गा पूजा | Durga Puja

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top