बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी कुछ खास बाते।
पौराणिक मान्यता और शास्त्रों में बद्रीनाथ को दूसरा बैकुंठ बताया गया है।
सतयुग में यहां पर हर व्यक्ति को भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन होते थे।
त्रेता युग में यहां पर देवताओं और ऋषियों को ही भगवान के साक्षात दर्शन होते थे।
द्वापर युग के समय से यहां पर भगवान विष्णु के विग्रह के दर्शन सभी को होते हैं
बद्रीनाथ धाम भारत के चार धामों में आता है और उत्तराखंड के चार धामों में भी आता है।
केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ धाम के कपाट भी 6 महीनो के लिए बंद रहते है।
इस वर्ष बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई, 2024 को प्रातः 6:00 बजे खुलेंगे और विजयदशमी तक खुले रहेंगे।
आदि शंकराचार्य जी को अलकनंदा नदी में भगवान बद्री का विग्रह मिला और उन्होंने श्री विग्रह को तप्त कुंड के पास एक गुफा में स्थापित कर दिया।
16वीं शताब्दी में एक गढ़वाल राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप कई बार पुनर्निर्मित किया गया है।
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