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श्री हनुमान जी की नव निधियाँ | Shri Hanuman Ji Ki Nav Nidhi

नव निधि - नव निधियाँ | Nav nidhi Hanuman ji

श्री हनुमान जी की नव निधियाँ

 

भगवान श्री हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां के साथ नव निधियां भी प्राप्त हैं माता सीता ने हनुमान जी को वरदान दिया था जिस कारण हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां और नव निधियां प्राप्त हैं साथी वह उनके दाता भी हैं। इसका उल्लेख हनुमान चालीसा की इस चौपाई में भी आता है, 

“अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता।।”

इसलिए हनुमान जी अपने भक्तों से प्रसन्न हो कर उनको नव निधियां प्रदान भी कर सकते हैं। हिंदू धर्म ग्रन्थ और वेद शास्त्रों के अनुसार जिसे नव निधियां प्राप्त हो जाएं उस व्यक्ति को किसी भी चीज की कमी नहीं रहती।

श्री हनुमान जी को जिन नव निधियां का स्वामी एवं दाता बताया गया है वह नव निधियां इस प्रकार हैं।

1. पद्म निधि

2. महापद्म निधि

3. नील निधि

4. मुकुंद निधि

5. नंद निधि

6. मकर निधि

7. कच्छप निधि

8. शंख निधि

9. खर्व या मिश्र निधि

ऐसा माना जाता है इन नव निधियां में से खर्व या मिश्र निधि को छोड़कर बाकी आठ निधियों को पद्मिनी नामक विद्या को सिद्ध करने से प्राप्त की जा सकती हैं, परंतु पद्मिनी विद्या को सिद्ध करना इतना सरल भी नहीं है।

आइए अब इन नव निधियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

1. पद्म निधि

किसी भी व्यक्ति में पद्म निधि की उपस्थिति से सात्विक गुना का प्रभाव बढ़ता है जिस कारण उसके द्वारा कमाई एवं एकत्रित की गई धन संपदा भी सात्विक गुना से परिपूर्ण होती है। सात्विक गुना से कमाई गई धन संपदा का फल कई पीढ़ियों को मिलता है धन-धान्य सोने चांदी की कमी नहीं होती और वह व्यक्ति उदारता से दान भी करते हैं।

2. महापद्म निधि

महापद्म निधि का प्रभाव भी पद्म निधि के समान सात्विक होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति में सात्विक गुण आते है और वह व्यक्ति भी दानी होता ही। इसका फल व्यक्ति की सात पीढ़ियों तक मिलता है जिससे उन्हें साथ पीढ़ियों तक धन-धान्य की कमी नहीं होती।

3. नील निधि

नील निधि व्यापार द्वारा प्राप्त की जा सकती है नील निधि से व्यक्ति में सत्व और रज गुण प्राप्त होते हैं और व्यक्ति में इन दोनों गुणों की प्रधानता भी रहती है। इस निधि का प्रभाव तीन पीढ़ियों तक ही रहता है।

4. मुकुंद निधि

मुकुंद निधि को राज्यसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति में रजोगुण की प्रधानता रहती है और उसका मन भोग आदि में लगा रहता है। इस निधि का स्वभाव एक पीढ़ी बात खत्म हो जाता है

5. नंद निधि

नंद निधि से युक्त व्यक्ति में राजस और तामस दोनों गुणों का मिश्रित स्वभाव होता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसे निरंतर सफलता प्राप्त होती है। 

6. मकर निधि

मकर निधि को तामसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। मकर निधि से युक्त व्यक्ति अस्त्रों और सस्त्रों का संग्रह करता है और हमेशा युद्ध के लिए सज़(तैयार) रहता है।

7. कच्छप निधि

कच्छप निधि युक्त व्यक्ति सदैव अपनी संपति को गुप्त रखता है। ना तो खुद उसका उपयोग करता है और ना किसी ओर को उसका उपयोग करने देता है। ऐसे व्यक्ति धन होते हुए भी उसका उपभोग नहीं कर पाता है।

8. शंख निधि

शंख निधि से युक्त व्यक्ति एकमात्र अपनी ही चिंता करता है। वह धन तो बहुत कमाता है और स्वयं पर खर्च भी करता है परंतु अपने परिवार को उसे धन के भोग से वंचित रखता है। इस निधि का प्रभाव एक पीढ़ी तक रहता है।

9. खर्व या मिश्र निधि

खराब निधि को मिश्रित निधि भी कहा गया है। इस निधि का प्रभाव बाकी सारी निधियां के प्रभाव से विपरीत होता है। इस निधि से युक्त व्यक्ति में आठों नीतियों का मिश्रित स्वभाव होता है और उसे व्यक्ति के स्वभाव बारे में भविष्यवाणी करना भी संभव है। इस निधि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति विकलांग और घमंडी होता हैं, यह समय आने पर दूसरों का धन और सुख भी छीन सकता है। 

श्री हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों के बारे में भी अवश्य पढ़े।

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