गीता जयंती | Geeta Jayanti
गीता जयंती कब और क्यों मनाई जाती है, मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है ?
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मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीताजयंती उत्सव मनाया जाता है। इस दिन देश भर के सभी गीता भवन और अन्य मंदिरों में भी श्रीमद्भागवत गीता पर प्रवचन किए जाते हैं तथा संपूर्ण श्रीमद्भागवत गीता का पाठ भी किया जाता है। कथन अनुसार इस वर्ष अर्थात 2023 में गीता जयंती की 5160वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस वर्ष शनिवार 23 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती उत्सव मनाया जाएगा।
गीता जयंती क्यों मनाई जाती है ?
जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसलिए प्रत्येक वर्ष की मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।
कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था उसे दिन मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसलिए इस दिन को गीताजयंती के रूप में मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है ?
- मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।
- इस दिन गीता पाठ पड़ने से, सुनने से या गीता उपदेश सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहते है।
- इस दिन व्रत रखना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है और परम धाम में वास प्राप्त होता है।
श्रीमद्भगवद् गीता से जुड़े कुछ तथ्य:
- भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के समय गीता ज्ञान दिया।
- श्रीमद्भगवद् गीता में 18 अध्याय है और 700 श्लोक है।
- श्रीमद्भगवद् गीता में भगवान श्री कृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है जिनका कुल 700 होता है।
- श्रीमद्भगवद् गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद भी है।
श्रीमद्भगवद् गीता में कितने अध्याय है और उनके क्या नाम है ?
श्रीमद्भगवद् गीता में 18 अध्याय है जिनमे 700 श्लोक है, 18 अध्यायों के नाम इस प्रकार है:
- प्रथम अध्याय -अर्जुनविषादयोग
- द्वितीय अध्याय – सांख्ययोग
- तृतीय अध्याय – कर्मयोग
- चतुर्थ अध्याय – ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
- पंचम अध्याय – कर्मसंन्यासयोग
- षष्ट अध्याय – आत्मसंयमयोग
- सप्तम अध्याय – ज्ञानविज्ञानयोग
- अष्टम अध्याय – अक्षरब्रह्मयोग
- नवम अध्याय – राजविद्याराजगुह्ययोग
- दशम अध्याय – विभूतियोग
- एकादश अध्याय – विश्वरूपदर्शनयोग
- द्वादश अध्याय – भक्तियोग
- त्रयोदश अध्याय -क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग
- चतुर्दश अध्याय – गुणत्रयविभागयोग
- पंचदश अध्याय – पुरुषोत्तमयोग
- षोडश अध्याय – दैवासुरसम्पद्विभागयोग
- सप्तदश अध्याय – श्रद्धात्रयविभागयोग
- अष्टादश अध्याय – मोक्षसंन्यासयोग
।। जीवन का आधार गीता सार ।।
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