बद्रीनाथ धाम | Badrinath Dham
बद्रीनाथ धाम एक भव्य दर्शनीय और पवित्र धाम होने के साथ-साथ चार धाम यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण धाम है। यह धाम हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के दो पर्वत नर और नारायण के बीच स्थित है। लाखों तीर्थ यात्री हर वर्ष बद्रीनाथ भगवान के दर्शन के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
बद्रीनाथ एक ऐसा तीर्थ स्थल है जो उत्तराखंड के चार धामों मेका हिस्सा होने के साथ – साथ भारत के चार धामों का भी हिस्सा है जो कि भारत के चारों कोनों में स्थित है। इनमें उत्तर में बद्रीनाथ धाम, दक्षिण में रामेश्वरम, पश्चिम में द्वारिकापुरी और पूर्व में जगन्नाथ पुरी स्थित है।
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Toggleबद्रीनाथ मंदिर | Badrinath Mandir
बद्रीनाथ मंदिर श्री बद्रीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यह उत्तराखंड के चार प्रसिद्ध धर्मों का मुख्य स्थान है यह भगवान विष्णु को समर्पित है और बद्रीनाथ शहर में स्थित है। बद्रीनाथ शहर में पंच बद्री मंदिर स्थापित हैं, जिसमे सबसे मुख्य श्री बद्रीनाथ मंदिर, योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री, और वृद्धि बद्री शामिल है।
मंदिर के मुख्य द्वार का हिस्सा बहुत ही रंगीन और शक्तिशाली उत्तर भारतीय शैली की वस्तु को मिला से सुसज्जित किया गया है, ये मुख्य द्वार, सिंह द्वार के नाम से जाना जाता है। और मंदिर की दीवारों पत्थर की बनी है और उनमें नक्काशी भी हो रखी है। मंदिर के शीर्ष पर एक छोटा गुंबद है जिसपे सोना चढ़ा हुआ है। बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास बहुत ही विशिष्ट और पौराणिक है स्कंद पुराण में भी इस मंदिर के बारे में कहा गया है।
” स्वर्ग में, पृथ्वी पर और नरक में कई पवित्र मंदिर हैं,
लेकिन बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थ नहीं है। “
स्कंद पुराण के अनुसार भगवान बद्रीनाथ की विग्रह आदि गुरु शंकराचार्य जी ने नारद कुंड से आठवीं शताब्दी में प्राप्त की थी और वर्तमान मंदिर में स्थापित की थी।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें अवश्य देखें ।
श्री बद्रीनाथ मंदिर के बारे में | About Shri Badrinath Mandir
बद्रीनाथ मंदिर को तीन खंडों में विभाजित किया है।
- गर्भ ग्रह,
- दर्शन मंडप जहां अनुष्ठान किए जाते हैं, और
- सभा मंडप जहां भक्त प्रार्थना करने के लिए एकत्रित होते हैं।
1. गर्भ ग्रह
गर्भ ग्रह की छत सोने की चादर से ढकी हुई है और इसमें भगवान श्री बद्री नारायण, कुबेर देवता, नारद ऋषि, उद्धव, नर और नारायण विराजमान है। मंदिर परिसर में 15 विग्रह विराजमान है जिम सबसे मुख्य और आकर्षक भगवान श्री बद्रीनाथ जी का विग्रह है जिसे काले पत्थर से बनाया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 1 मीटर है और और इसमें भगवान विष्णु पद्म आसन नामक ज्ञान मुद्रा में बैठे हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अलकनंदा नदी में शालिग्राम पत्थर से बनी भगवान श्री बद्री नारायण की इस मूर्ति को खोजा था और उसे तप्त कुंड गर्म झरने के पास एक गुफा के निकट स्थापित किया था। 16वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा ने श्री विग्रह को वर्तमान मंदिर में स्थानांतरित कर था तब से श्री विग्रह यही विराजमान है।
2. दर्शन मंडप
यहां से भगवान बद्री नारायण के दर्शन किए जाते हैं। भगवान बद्री नारायण ने अपनी दो भुजाओं में शंकर और चक्र धारण कर रखे हैं और अन्य दो भुजाओं को योग मुद्रा में रखा है। बद्री नारायण के दाहिनी ओर उद्धव खड़े हैं, सबसे दाहिनी और नर और नारायण है और नारद ऋषि दाहिनी और सामने घुटने टेक हुए हैं और उन्हे देखना कठिन है। भाई और धन के देवता कुबेर हैं और एक चांदी के गणेश हैं और बाएं और सामने की तरफ घुटने टेके हुए गरुण बैठे हैं।
3. सभा मंडप
सभा मंडप इस स्थान में भक्त और तीर्थ यात्री एकत्रित होते है और पूजा – पाठ करते है।
बद्रीनाथ मंदिर में करी जाने वाली पूजा विधि | Prayer Rituals in Badrinath Mandir
भक्तो द्वारा करी जाने वाली विशेष पूजा ऑनलाइन बुक की जाती है, प्रत्येक पूजा से पहले भक्तों को पवित्र तृप्त कुंड में स्नान करना आवश्यक होता है। पप्रातः महा अभिषेक के साथ दैनिक पूजा कार्यक्रम प्रारंभ होते है इसके बाद अभिषेक, गीता पाठ और भागवत पाठ किया जाता है, और शाम के समय गीत गोविंद और आरती की जाती है।
बद्रीनाथ मंदिर में आरती का समय | Aarti Timings in Badrinath Mandir
बद्रीनारायण मंदिर में दैनिक अनुष्ठान प्रातः 4:30 बजे से महाभिषेक के साथ शुरू हो जाते हैं और रात्रि 9:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होते हैं इस बीच अन्य दैनिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं, दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे के मध्य विश्राम का समय निर्धारित है, भक्त समाज के लिए सुबह 7:00 से दर्शन खुल जाते हैं और रात्रि शयन आरती तक दर्शन किए जा सकते हैं।
प्रातः 4:30 बजे महाभिषेक और पूजा, और
रात्री लगभग 9:00 बजे शयन आरती
बद्रीनाथ मंदिर खुलने और बंद होने का समय | Opening and Closing Timing of Badrinath Mandir
प्रातः काल में सुबह 7:00 से दोपहर 1:00 तक, और
सांय काल में 4:00 बजे से 9:00 तक
श्री बद्रीनाथ कपाट खुलने और बंद होने की तिथि । Opening and Closing Date of Badrinath Dham
बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का मंदिर है यह उत्तराखंड के चार धामों में से एक है और भारत के चार धामों में से भी एक है।
इस वर्ष 2024 में बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की घोषणा राज पुरोहित ने बसंत पंचमी के शुभ दिन की थी।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें अवश्य देखें ।
बद्रीनाथ कपाट खुलने की तिथि: 12 मई, 2024 प्रातः 6:00 बजे।
बद्रीनाथ कपाट बंद होने की तिथि: 6 नवंबर, 2024 (संभावित)।
बद्रीनाथ धाम पंजीकरण | Badrinath Dham Registration
सभी तीर्थ यात्रियों को यात्रा से पहले पंजीकरण करना अनिवार्य है, पंजीकरण यात्री स्वयं अनलाइन कर सकते है। यात्रा पंजीकरण के लिए यात्री को (Shri Badrinath Kedarnath Temple Committee) की आधिकारिक वेबसाईट पे जा कर करना होगा। इस वेबसाईट पे जा कर तीर्थ यात्री पहले से ही पूजा की बुकिंग करा सकते है।
चारधाम यात्रा | Char Dham Yatra
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की प्रमुख यात्रा है जिसमे पूरे देश से तीर्थ यात्री भाग लेने के लिए आते है। चार धाम यात्रा वर्ष मे सिर्फ 6 महीनों के लिए ही खुलती है क्युकी शीतकाल में यात्रा के मुख्य स्थानों बर्फ की चादर से ढक जाते है और यहा पहुचना असंभव हो जाता है । इसी लिए चारधाम यात्रा शीतकाल के समय समस्त भक्त समाज के लिए स्थगित कर दी जाती है। यात्रा में भक्त आम तौर पे सबसे पहले यमनोत्री धाम के दर्शन करते है और फिर गंगोत्री के दर्शनों का लाभ उठाते है, इसके बाद यात्री केदारनाथ भगवान के दर्शन करके श्री बद्रीनाथ धाम जाते है।
चारधाम यात्रा के 4 मुख्य धामों के नाम –
चारधाम यात्रा पंजीकरण वेबसाईट | Char Dham Yatra Registration Website
चार धाम यात्रा का पणजी कारण तीर्थ यात्री अनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से करा सकते है। अनलाइन पंजीकरण के चार तरीके सरकार की तरफ से उपलब्ध है।
वेबसाईट / Website, व्हाट्सप्प / WhatsApp, टोल फ्री नंबर / Toll Free Number, एप / App
साथ ही यात्री ऑफलाइन पंजीकरण भी करा सकते है।
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चार धाम यात्रा 2024 कपाट खुलने की तिथि और पंजीकरण | Char Dham Yatra Opening Date and Registration
तीर्थयात्री यात्रा का पंजीकरण उत्तराखंड सरकार की इस वेबसाईट registrationandtouristcare.uk.gov.in से करा सकते है।